Psalm 130
1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है!
2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें!
3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?
4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से तेरा भय माना जाए।
5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है;
6 पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उससे भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं॥
7 इस्राएल यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है।
8 इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा॥
1 A Song of degrees.
2 Out of the depths have I cried unto thee, O Lord.
3 Lord, hear my voice: let thine ears be attentive to the voice of my supplications.
4 If thou, Lord, shouldest mark iniquities, O Lord, who shall stand?
5 But there is forgiveness with thee, that thou mayest be feared.
6 I wait for the Lord, my soul doth wait, and in his word do I hope.
7 My soul waiteth for the Lord more than they that watch for the morning: I say, more than they that watch for the morning.
8 Let Israel hope in the Lord: for with the Lord there is mercy, and with him is plenteous redemption.
9 And he shall redeem Israel from all his iniquities.