Psalm 30
1 हे यहोवा मैं तुझे सराहूंगा, क्योंकि तू ने मुझे खींचकर निकाला है, और मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया।
2 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी और तू ने मुझे चंगा किया है।
3 हे यहोवा, तू ने मेरा प्राण अधोलोक में से निकाला है, तू ने मुझ को जीवित रखा और कब्र में पड़ने से बचाया है॥
4 हे यहोवा के भक्तों, उसका भजन गाओ, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो।
5 क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सबेरे आनन्द पहुंचेगा॥
6 मैं ने तो अपने चैन के समय कहा था, कि मैं कभी नहीं टलने का।
7 हे यहोवा अपनी प्रसन्नता से तू ने मेरे पहाड़ को दृढ़ और स्थिर किया था; जब तू ने अपना मुख फेर लिया तब मैं घबरा गया॥
8 हे यहोवा मैं ने तुझी को पुकारा; और यहोवा से गिड़गिड़ाकर यह बिनती की, कि
9 जब मैं कब्र में चला जाऊंगा तब मेरे लोहू से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी सच्चाई का प्रचार कर सकती है?
10 हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुग्रह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहायक हो॥
11 तू ने मेरे लिये विलाप को नृत्य में बदल डाला, तू ने मेरा टाट उतरवाकर मेरी कमर में आनन्द का पटुका बान्धा है;
12 ताकि मेरी आत्मा तेरा भजन गाती रहे और कभी चुप न हो। हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं सर्वदा तेरा धन्यवाद करता रहूंगा॥
1 A Psalm and Song at the dedication of the house of David.
2 I will extol thee, O Lord; for thou hast lifted me up, and hast not made my foes to rejoice over me.
3 O Lord my God, I cried unto thee, and thou hast healed me.
4 O Lord, thou hast brought up my soul from the grave: thou hast kept me alive, that I should not go down to the pit.
5 Sing unto the Lord, O ye saints of his, and give thanks at the remembrance of his holiness.
6 For his anger endureth but a moment; in his favour is life: weeping may endure for a night, but joy cometh in the morning.
7 And in my prosperity I said, I shall never be moved.
8 Lord, by thy favour thou hast made my mountain to stand strong: thou didst hide thy face, and I was troubled.
9 I cried to thee, O Lord; and unto the Lord I made supplication.
10 What profit is there in my blood, when I go down to the pit? Shall the dust praise thee? shall it declare thy truth?
11 Hear, O Lord, and have mercy upon me: Lord, be thou my helper.
12 Thou hast turned for me my mourning into dancing: thou hast put off my sackcloth, and girded me with gladness;
13 To the end that my glory may sing praise to thee, and not be silent. O Lord my God, I will give thanks unto thee for ever.