Romans 8:20 in Hindi

Hindi Hindi Bible Romans Romans 8 Romans 8:20

Romans 8:20
क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई।

Romans 8:19Romans 8Romans 8:21

Romans 8:20 in Other Translations

King James Version (KJV)
For the creature was made subject to vanity, not willingly, but by reason of him who hath subjected the same in hope,

American Standard Version (ASV)
For the creation was subjected to vanity, not of its own will, but by reason of him who subjected it, in hope

Bible in Basic English (BBE)
For every living thing was put under the power of change, not by its desire, but by him who made it so, in hope

Darby English Bible (DBY)
for the creature has been made subject to vanity, not of its will, but by reason of him who has subjected [the same], in hope

World English Bible (WEB)
For the creation was subjected to vanity, not of its own will, but because of him who subjected it, in hope

Young's Literal Translation (YLT)
for to vanity was the creation made subject -- not of its will, but because of Him who did subject `it' -- in hope,


τῇtay
For
γὰρgargahr
the
ματαιότητιmataiotētima-tay-OH-tay-tee
creature
ay
subject
made
was
κτίσιςktisisk-TEE-sees
to
vanity,
ὑπετάγηhypetagēyoo-pay-TA-gay
not
οὐχouchook
willingly,
ἑκοῦσαhekousaake-OO-sa
but
ἀλλὰallaal-LA
by
reason
of
διὰdiathee-AH
him
τὸνtontone
subjected
hath
who
ὑποτάξανταhypotaxantayoo-poh-TA-ksahn-ta
the
same
in
ἐπ'epape
hope,
ἑλπίδιhelpidiale-PEE-thee

Cross Reference

उत्पत्ति 3:17
और आदम से उसने कहा, तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी, और जिस वृक्ष के फल के विषय मैं ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है, इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है: तू उसकी उपज जीवन भर दु:ख के साथ खाया करेगा:

उत्पत्ति 5:29
और यह कहकर उसका नाम नूह रखा, कि यहोवा ने जो पृथ्वी को शाप दिया है, उसके विषय यह लड़का हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, हम को शान्ति देगा।

रोमियो 8:22
क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।

योएल 1:18
पशु कैसे कराहते हैं? झुण्ड के झुण्ड गाय-बैल विकल हैं, क्योंकि उनके लिये चराई नहीं रही; और झुण्ड के झुण्ड भेड़-बकरियां पाप का फल भोग रही हैं॥

होशे 4:3
इस कारण यह देश विलाप करेगा, और मैदान के जीव-जन्तुओं, और आकाश के पक्षियों समेत उसके सब निवासी कुम्हला जाएंगे; और समुद्र की मछलियां भी नाश हो जाएंगी॥

यिर्मयाह 14:5
हरिणी भी मैदान में बच्चा जन कर छोड़ जाती है क्योंकि हरी घास नहीं मिलती।

यिर्मयाह 12:11
उन्होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़ कर मेरे साम्हने विलाप कर रहा है। सारा देश उजड़ गया है, तौभी कोई नहीं सोचता।

यिर्मयाह 12:4
कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियों की बुराई के कारण पशु-पक्षी सब नाश हो गए हैं, क्योंकि उन लोगों ने कहा, वह हमारे अन्त को न देखेगा।

यशायाह 24:5
पृथ्वी अपने रहने वालों के कारण अशुद्ध हो गई है, क्योंकि उन्होंने व्यवस्था का उल्लंघन किया और विधि को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दिया है।

सभोपदेशक 1:2
उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।

अय्यूब 12:6
डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो ईश्वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; और उनके हाथ में ईश्वर बहुत देता है।

उत्पत्ति 6:13
तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उन को पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।