Deuteronomy 29:19 in Hindi

Hindi Hindi Bible Deuteronomy Deuteronomy 29 Deuteronomy 29:19

Deuteronomy 29:19
और ऐसा मनुष्य इस शाप के वचन सुनकर अपने को आशीर्वाद के योग्य माने, और यह सोचे कि चाहे मैं अपने मन के हठ पर चलूं, और तृप्त हो कर प्यास को मिटा डालूं, तौभी मेरा कुशल होगा।

Deuteronomy 29:18Deuteronomy 29Deuteronomy 29:20

Deuteronomy 29:19 in Other Translations

King James Version (KJV)
And it come to pass, when he heareth the words of this curse, that he bless himself in his heart, saying, I shall have peace, though I walk in the imagination of mine heart, to add drunkenness to thirst:

American Standard Version (ASV)
and it come to pass, when he heareth the words of this curse, that he bless himself in his heart, saying, I shall have peace, though I walk in the stubbornness of my heart, to destroy the moist with the dry.

Bible in Basic English (BBE)
If such a man, hearing the words of this oath, takes comfort in the thought that he will have peace even if he goes on in the pride of his heart, taking whatever chance may give him:

Darby English Bible (DBY)
and it come to pass, when he heareth the words of this curse, that he bless himself in his heart, saying, I shall have peace, though I walk in the stubbornness of my heart, to sweep away the drunken with the thirsty.

Webster's Bible (WBT)
And it should come to pass, when he heareth the words of this curse, that he should bless himself in his heart, saying, I shall have peace, though I walk in the imagination of my heart, to add drunkenness to thirst:

World English Bible (WEB)
and it happen, when he hears the words of this curse, that he bless himself in his heart, saying, I shall have peace, though I walk in the stubbornness of my heart, to destroy the moist with the dry.

Young's Literal Translation (YLT)
`And it hath been, in his hearing the words of this oath, and he hath blessed himself in his heart, saying, I have peace, though in the stubbornness of my heart I go on, in order to end the fulness with the thirst.

And
it
come
to
pass,
וְהָיָ֡הwĕhāyâveh-ha-YA
heareth
he
when
בְּשָׁמְעוֹ֩bĕšomʿôbeh-shome-OH

אֶתʾetet
words
the
דִּבְרֵ֨יdibrêdeev-RAY
of
this
הָֽאָלָ֜הhāʾālâha-ah-LA
curse,
הַזֹּ֗אתhazzōtha-ZOTE
that
he
bless
himself
וְהִתְבָּרֵ֨ךְwĕhitbārēkveh-heet-ba-RAKE
heart,
his
in
בִּלְבָב֤וֹbilbābôbeel-va-VOH
saying,
לֵאמֹר֙lēʾmōrlay-MORE
I
shall
have
שָׁל֣וֹםšālômsha-LOME
peace,
יִֽהְיֶהyihĕyeYEE-heh-yeh
though
לִּ֔יlee
I
walk
כִּ֛יkee
imagination
the
in
בִּשְׁרִר֥וּתbišrirûtbeesh-ree-ROOT
of
mine
heart,
לִבִּ֖יlibbîlee-BEE
to
אֵלֵ֑ךְʾēlēkay-LAKE
add
לְמַ֛עַןlĕmaʿanleh-MA-an
drunkenness
סְפ֥וֹתsĕpôtseh-FOTE
to
הָֽרָוָ֖הhārāwâha-ra-VA
thirst:
אֶתʾetet
הַצְּמֵאָֽה׃haṣṣĕmēʾâha-tseh-may-AH

Cross Reference

गिनती 15:30
परन्तु क्या देशी क्या परदेशी, जो प्राणी ढिठाई से कुछ करे, वह यहोवा का अनादर करने वाला ठहरेगा, और वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाए।

इफिसियों 4:17
इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।

यिर्मयाह 7:24
पर उन्होंने मेरी न सुनी और न मेरी बातों पर कान लगाया; वे अपनी ही युक्तियों और अपने बुरे मन के हठ पर चलते रहे और पीछे हट गए पर आगे न बढ़े।

यिर्मयाह 28:15
और यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से यह भी कहा, हे हनन्याह, देख यहोवा ने तुझे नहीं भेजा, तू ने इन लोगों को झूठी आशा दिलाई है।

यिर्मयाह 44:16
जो वचन तू ने हम को यहोवा के नाम से सुनाया है, उसको हम नहीं सुनने के।

यिर्मयाह 44:27
सुनो, अब मैं उनकी भलाई नहीं, हानि ही की चिन्ता करूंगा; सो मिस्र देश में रहने वाले सब यहूदी, तलवार और महंगी के द्वारा मिटकर नाश हो जाएंगे जब तक कि उनका सर्वनाश न हो जाए।

यहेजकेल 13:16
अर्थात इस्राएल के वे भविष्यद्वक्ता जो यरूशलेम के विषय में भविष्यद्वाणी करते और उनकी शान्ति का दर्शन बताते थे, परन्तु प्रभु यहोवा की यह वाणी है, कि शान्ति है ही नहीं।

यहेजकेल 13:22
तुम ने जो झूठ कह कर धमीं के मन को उदास किया है, यद्यपि मैं ने उसको उदास करना नहीं चाहा, और तुम ने दुष्ट जन को हियाव बन्धाया है, ताकि वह अपने बुरे मार्ग से न फिरे और जीवित रहे।

रोमियो 1:21
इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया।

2 कुरिन्थियों 10:5
सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं।

इफिसियों 5:6
कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है।

यिर्मयाह 7:3
सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, यों कहता है, अपनी अपनी चाल और काम सुधारो, तब मैं तुम को इस स्थान में बसे रहने दूंगा।

यिर्मयाह 5:12
उन्होंने यहोवा की बातें झुठलाकर कहा, वह ऐसा नहीं है; विपत्ति हम पर न पड़ेगी, न हम तलवार को और न महंगी को देखेंगे।

गिनती 15:39
और वह तुम्हारे लिये ऐसी झालर ठहरे, जिस से जब जब तुम उसे देखो तब तब यहोवा की सारी आज्ञाएं तुम हो स्मरण आ जाएं; और तुम उनका पालन करो, और तुम अपने अपने मन और अपनी अपनी दृष्टि के वश में हो कर व्यभिचार न करते फिरो जैसे करते आए हो।

व्यवस्थाविवरण 17:2
जो बस्तियां तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, यदि उन में से किसी में कोई पुरूष वा स्त्री ऐसी पाई जाए, जिसने तेरे परमेश्वर यहोवा की वाचा तोड़कर ऐसा काम किया हो, जो उसकी दृष्टि में बुरा है,

व्यवस्थाविवरण 29:12
कि जो वाचा तेरा परमेश्वर यहोवा आज तुझ से बान्धता है, और जो शपथ वह आज तुझ को खिलाता है, उस में तू साझी हो जाए;

भजन संहिता 10:4
दुष्ट अपने अभिमान के कारण कहता है कि वह लेखा नहीं लेने का; उसका पूरा विचार यही है कि कोई परमेश्वर है ही नहीं॥

भजन संहिता 10:11
वह अपने मन में सोचता है, कि ईश्वर भूल गया, वह अपना मुंह छिपाता है; वह कभी नहीं देखेगा॥

भजन संहिता 49:18
चाहे वह जीते जी अपने आप को धन्य कहता रहे, (जब तू अपनी भलाई करता है, तब वे लोग तेरी प्रशंसा करते हैं)

भजन संहिता 94:6
वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं;

नीतिवचन 29:1
जो बार बार डांटे जाने पर भी हठ करता है, वह अचानक नाश हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा।

सभोपदेशक 11:9
हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपनी जवानी के दिनों के मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपनी आंखों की दृष्टि के अनुसार चल। परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों के विषय में परमेश्वर तेरा न्याय करेगा॥

यिर्मयाह 3:17
उस समय सरूशलेम यहोवा का सिंहासन कहलाएगा, और सब जातियां उसी यरूशलेम में मेरे नाम के निमित्त इकट्ठी हुआ करेंगी, और, वे फिर अपने बुरे मन के हठ पर न चलेंगी।

उत्पत्ति 2:17
पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा॥