1 Samuel 30:6 in Hindi

Hindi Hindi Bible 1 Samuel 1 Samuel 30 1 Samuel 30:6

1 Samuel 30:6
और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे-बेटियों के कारण बहुत शोकित हो कर उस पर पत्थरवाह करने की चर्चा कर रहे थे। परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बान्धा॥

1 Samuel 30:51 Samuel 301 Samuel 30:7

1 Samuel 30:6 in Other Translations

King James Version (KJV)
And David was greatly distressed; for the people spake of stoning him, because the soul of all the people was grieved, every man for his sons and for his daughters: but David encouraged himself in the LORD his God.

American Standard Version (ASV)
And David was greatly distressed; for the people spake of stoning him, because the soul of all the people was grieved, every man for his sons and for his daughters: but David strengthened himself in Jehovah his God.

Bible in Basic English (BBE)
And David was greatly troubled; for the people were talking of stoning him, because their hearts were bitter, every man sorrowing for his sons and his daughters: but David made himself strong in the Lord his God.

Darby English Bible (DBY)
And David was greatly distressed; for the people spoke of stoning him; for the soul of all the people was embittered, every man because of his sons and because of his daughters; but David strengthened himself in Jehovah his God.

Webster's Bible (WBT)
And David was greatly distressed: for the people spoke of stoning him, because the soul of all the people was grieved, every man for his sons, and for his daughters: but David encouraged himself in the LORD his God.

World English Bible (WEB)
David was greatly distressed; for the people spoke of stoning him, because the soul of all the people was grieved, every man for his sons and for his daughters: but David strengthened himself in Yahweh his God.

Young's Literal Translation (YLT)
and David hath great distress, for the people have said to stone him, for the soul of all the people hath been bitter, each for his sons and for his daughters; and David doth strengthen himself in Jehovah his God.

And
David
וַתֵּ֨צֶרwattēṣerva-TAY-tser
was
greatly
לְדָוִ֜דlĕdāwidleh-da-VEED
distressed;
מְאֹ֗דmĕʾōdmeh-ODE
for
כִּֽיkee
the
people
אָמְר֤וּʾomrûome-ROO
spake
הָעָם֙hāʿāmha-AM
stoning
of
לְסָקְל֔וֹlĕsoqlôleh-soke-LOH
him,
because
כִּֽיkee
the
soul
מָ֙רָה֙mārāhMA-RA
all
of
נֶ֣פֶשׁnepešNEH-fesh
the
people
כָּלkālkahl
grieved,
was
הָעָ֔םhāʿāmha-AM
every
man
אִ֖ישׁʾîšeesh
for
עַלʿalal
his
sons
בָּנָ֣וbānāwba-NAHV
and
for
וְעַלwĕʿalveh-AL
daughters:
his
בְּנֹתָ֑יוbĕnōtāywbeh-noh-TAV
but
David
וַיִּתְחַזֵּ֣קwayyitḥazzēqva-yeet-ha-ZAKE
encouraged
himself
דָּוִ֔דdāwidda-VEED
Lord
the
in
בַּֽיהוָ֖הbayhwâbai-VA
his
God.
אֱלֹהָֽיו׃ʾĕlōhāyway-loh-HAIV

Cross Reference

भजन संहिता 56:3
जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा।

भजन संहिता 56:11
मैं ने परमेश्वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?

भजन संहिता 25:17
मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दु:खों से छुड़ा ले।

भजन संहिता 18:6
अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर की दोहाई दी। और उसने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी॥

निर्गमन 17:4
तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और कहा, इन लोगों से मैं क्या करूं? ये सब मुझे पत्थरवाह करने को तैयार हैं।

भजन संहिता 27:1
यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं?

भजन संहिता 40:1
मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उसने मेरी ओर झुककर मेरी दोहाई सुनी।

भजन संहिता 116:3
मृत्यु की रस्सियां मेरे चारोंओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा।

यूहन्ना 8:59
तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए, परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया॥

2 कुरिन्थियों 1:8
हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।

भजन संहिता 27:14
यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हां, यहोवा ही की बाट जोहता रह!

भजन संहिता 34:1
मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।

भजन संहिता 62:5
हे मेरे मन, परमेश्वर के साम्हने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है।

भजन संहिता 62:8
हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उससे अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है।

भजन संहिता 116:10
मैं ने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कस कर कहा है, कि मैं तो बहुत ही दु:खित हुआ;

इब्रानियों 13:6
इसलिये हम बेधड़क होकर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है॥

रोमियो 4:18
उस ने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो।

मत्ती 27:22
पीलातुस ने उन से पूछा; फिर यीशु को जो मसीह कहलाता है, क्या करूं? सब ने उस से कहा, वह क्रूस पर चढ़ाया जाए।

हबक्कूक 3:17
क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,

भजन संहिता 62:1
सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेरश्वर की ओर मन लगाए हूं; मेरा उद्धार उसी से होता है।

अय्यूब 13:15
वह मुझे घात करेगा, मुझे कुछ आशा नहीं; तौभी मैं अपनी चाल चलन का पक्ष लूंगा।

2 राजा 4:27
वह पहाड़ पर परमेश्वर के भक्त के पास पहुंची, और उसके पांव पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया, कि उसे धक्का देकर हटाए, परन्तु परमेश्वर के भक्त ने कहा, उसे छोड़ दे, उसका मन व्याकुल है; परन्तु यहोवा ने मुझ को नहीं बताया, छिपा ही रखा है।

1 शमूएल 1:10
और यह मन में व्याकुल हो कर यहोवा से प्रार्थना करने और बिलख बिलखकर रोने लगी।

गिनती 14:10
तब सारी मण्डली चिल्ला उठी, कि इन को पत्थरवाह करो। तब यहोवा का तेज सब इस्त्राएलियों पर प्रकाशमान हुआ॥

भजन संहिता 118:8
यहोवा की शरण लेनी, मनुष्य पर भरोसा रखने से उत्तम है।

भजन संहिता 42:11
हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा॥

भजन संहिता 42:7
तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, जल को पुकारता है; तेरी सारी तरंगों और लहरों में मैं डूब गया हूं।

भजन संहिता 42:5
हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा॥

भजन संहिता 26:1
हे यहोवा, मेरा न्याय कर, क्योंकि मैं खराई से चलता रहा हूं, और मेरा भरोसा यहोवा पर अटल बना है।

2 शमूएल 17:8
फिर हूशै ने कहा, तू तो अपने पिता और उसके जनों को जानता है कि वे शूरवीर हैं, और बच्चा छीनी हुई रीछनी के समान क्रोधित होंगे। और तेरा पिता योद्धा है; और और लोगो के साथ रात नहीं बिताता।

न्यायियों 18:25
दानियों ने उस से कहा, तेरा बोल हम लोगों में सुनाईं न दे, कहीं ऐसा न हो कि क्रोधी जन तुम लोगों पर प्रहार करें? और तू अपना और अपने घर के लोगों के भी प्राण को खो दे।

नीतिवचन 18:10
यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है; धर्मी उस में भाग कर सब दुर्घटनाओं से बचता है।

यशायाह 25:4
क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रोंके लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।

यशायाह 37:14
इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से ले कर पढ़ा; तब उसने यहोवा के भवन में जा कर उस पत्री को यहोवा के साम्हने फैला दिया।

यिर्मयाह 16:19
हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्थान, जातिजाति के लोग पृथ्वी की चहुं ओर से तेरे पास आकर कहेंगे, निश्चय हमारे पुरखा झूठी, व्यर्थ और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं।

मत्ती 21:9
और जो भीड़ आगे आगे जाती और पीछे पीछे चली आती थी, पुकार पुकार कर कहती थी, कि दाऊद की सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।

रोमियो 4:20
और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की।

रोमियो 8:31
सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?

2 कुरिन्थियों 4:8
हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।

2 कुरिन्थियों 1:6
यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं।

2 कुरिन्थियों 7:5
क्योंकि जब हम मकिदुनिया में आए, तब भी हमारे शरीर को चैन नहीं मिला, परन्तु हम चारों ओर से क्लेश पाते थे; बाहर लड़ाइयां थीं, भीतर भयंकर बातें थी।

उत्पत्ति 32:7
तब याकूब निपट डर गया, और संकट में पड़ा: और यह सोच कर, अपने संग वालों के, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर लिये,