Song Of Solomon 3

fullscreen1 रात के समय में अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूंढ़ती रही; मैं उसे ढूंढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया; मैं ने कहा, मैं अब उठ कर नगर में,

fullscreen2 और सड़कों और चौकों में घूमकर अपने प्राणप्रिय को ढूंढूंगी। मैं उसे ढूंढती तो रही, परन्तु उसे न पाया।

fullscreen3 जो पहरूए नगर में घूमते थे, वे मुझे मिले, मैं ने उन से पूछा, क्या तुम ने मेरे प्राणप्रिय को देखा है?

fullscreen4 मुझ को उनके पास से आगे बढ़े थोड़े ही देर हुई थी कि मेरा प्राणप्रिय मुझे मिल गया। मैं ने उसको पकड़ लिया, और उसको जाने न दिया जब तक उसे अपनी मात के घर अर्थात अपनी जननी की कोठरी में न ले आई॥

Song of Solomon 3 in Tamil and English

1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?
Now the serpent was more subtil than any beast of the field which the Lord God had made. And he said unto the woman, Yea, hath God said, Ye shall not eat of every tree of the garden?

2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस बाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं।
And the woman said unto the serpent, We may eat of the fruit of the trees of the garden:

3 पर जो वृक्ष बाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।
But of the fruit of the tree which is in the midst of the garden, God hath said, Ye shall not eat of it, neither shall ye touch it, lest ye die.

4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,
And the serpent said unto the woman, Ye shall not surely die: