भजन संहिता 77:2
संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
In the day | בְּי֥וֹם | bĕyôm | beh-YOME |
of my trouble | צָרָתִי֮ | ṣārātiy | tsa-ra-TEE |
sought I | אֲדֹנָ֪י | ʾădōnāy | uh-doh-NAI |
the Lord: | דָּ֫רָ֥שְׁתִּי | dārāšĕttî | DA-RA-sheh-tee |
my sore | יָדִ֤י׀ | yādî | ya-DEE |
ran | לַ֣יְלָה | laylâ | LA-la |
in the night, | נִ֭גְּרָה | niggĕrâ | NEE-ɡeh-ra |
and ceased | וְלֹ֣א | wĕlōʾ | veh-LOH |
not: | תָפ֑וּג | tāpûg | ta-FOOɡ |
soul my | מֵאֲנָ֖ה | mēʾănâ | may-uh-NA |
refused | הִנָּחֵ֣ם | hinnāḥēm | hee-na-HAME |
to be comforted. | נַפְשִֽׁי׃ | napšî | nahf-SHEE |