भजन संहिता 4:2
हे मनुष्यों के पुत्रों, कब तक मेरी महिमा के बदले अनादर होता रहेगा? तुम कब तक व्यर्थ बातों से प्रीति रखोगे और झूठी युक्ति की खोज में रहोगे?
O ye sons | בְּנֵ֥י | bĕnê | beh-NAY |
of men, | אִ֡ישׁ | ʾîš | eesh |
how long | עַד | ʿad | ad |
מֶ֬ה | me | meh | |
will ye turn my glory | כְבוֹדִ֣י | kĕbôdî | heh-voh-DEE |
shame? into | לִ֭כְלִמָּה | liklimmâ | LEEK-lee-ma |
how long will ye love | תֶּאֱהָב֣וּן | teʾĕhābûn | teh-ay-ha-VOON |
vanity, | רִ֑יק | rîq | reek |
and seek after | תְּבַקְשׁ֖וּ | tĕbaqšû | teh-vahk-SHOO |
leasing? | כָזָ֣ב | kāzāb | ha-ZAHV |
Selah. | סֶֽלָה׃ | selâ | SEH-la |