भजन संहिता 32:5
जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया॥
I acknowledged | חַטָּאתִ֨י | ḥaṭṭāʾtî | ha-ta-TEE |
my sin | אוֹדִ֪יעֲךָ֡ | ʾôdîʿăkā | oh-DEE-uh-HA |
iniquity mine and thee, unto | וַעֲוֺ֘נִ֤י | waʿăwōnî | va-uh-VOH-NEE |
have I not | לֹֽא | lōʾ | loh |
hid. | כִסִּ֗יתִי | kissîtî | hee-SEE-tee |
I said, | אָמַ֗רְתִּי | ʾāmartî | ah-MAHR-tee |
confess will I | אוֹדֶ֤ה | ʾôde | oh-DEH |
my transgressions | עֲלֵ֣י | ʿălê | uh-LAY |
פְ֭שָׁעַי | pĕšāʿay | FEH-sha-ai | |
unto the Lord; | לַיהוָ֑ה | layhwâ | lai-VA |
thou and | וְאַתָּ֨ה | wĕʾattâ | veh-ah-TA |
forgavest | נָ֘שָׂ֤אתָ | nāśāʾtā | NA-SA-ta |
the iniquity | עֲוֹ֖ן | ʿăwōn | uh-ONE |
of my sin. | חַטָּאתִ֣י | ḥaṭṭāʾtî | ha-ta-TEE |
Selah. | סֶֽלָה׃ | selâ | SEH-la |