भजन संहिता 13

1 हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा?

2 मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?

3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आंखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी;

4 ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, कि मैं उस पर प्रबल हो गया; और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूं तो मेरे शत्रु मगन हों॥

5 परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा।

6 मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है॥

1 To the chief Musician, A Psalm of David.

2 How long wilt thou forget me, O Lord? for ever? how long wilt thou hide thy face from me?

3 How long shall I take counsel in my soul, having sorrow in my heart daily? how long shall mine enemy be exalted over me?

4 Consider and hear me, O Lord my God: lighten mine eyes, lest I sleep the sleep of death;

5 Lest mine enemy say, I have prevailed against him; and those that trouble me rejoice when I am moved.

6 But I have trusted in thy mercy; my heart shall rejoice in thy salvation.

7 I will sing unto the Lord, because he hath dealt bountifully with me.