Psalm 1:3
वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥
Psalm 1:3 in Other Translations
King James Version (KJV)
And he shall be like a tree planted by the rivers of water, that bringeth forth his fruit in his season; his leaf also shall not wither; and whatsoever he doeth shall prosper.
American Standard Version (ASV)
And he shall be like a tree planted by the streams of water, That bringeth forth its fruit in its season, Whose leaf also doth not wither; And whatsoever he doeth shall prosper.
Bible in Basic English (BBE)
He will be like a tree planted by the rivers of water, which gives its fruit at the right time, whose leaves will ever be green; and he will do well in all his undertakings.
Darby English Bible (DBY)
And he [is] as a tree planted by brooks of water, which giveth its fruit in its season, and whose leaf fadeth not; and all that he doeth prospereth.
Webster's Bible (WBT)
And he shall be like a tree planted by the rivers of water, that bringeth forth its fruit in season; its leaf also shall not wither; and whatever he doeth shall prosper.
World English Bible (WEB)
He will be like a tree planted by the streams of water, That brings forth its fruit in its season, Whose leaf also does not wither. Whatever he does shall prosper.
Young's Literal Translation (YLT)
And he hath been as a tree, Planted by rivulets of water, That giveth its fruit in its season, And its leaf doth not wither, And all that he doth he causeth to prosper.
| And he shall be | וְֽהָיָ֗ה | wĕhāyâ | veh-ha-YA |
| like a tree | כְּעֵץ֮ | kĕʿēṣ | keh-AYTS |
| planted | שָׁת֪וּל | šātûl | sha-TOOL |
| by | עַֽל | ʿal | al |
| the rivers | פַּלְגֵ֫י | palgê | pahl-ɡAY |
| of water, | מָ֥יִם | māyim | MA-yeem |
| that | אֲשֶׁ֤ר | ʾăšer | uh-SHER |
| bringeth forth | פִּרְי֨וֹ׀ | piryô | peer-YOH |
| fruit his | יִתֵּ֬ן | yittēn | yee-TANE |
| in his season; | בְּעִתּ֗וֹ | bĕʿittô | beh-EE-toh |
| his leaf | וְעָלֵ֥הוּ | wĕʿālēhû | veh-ah-LAY-hoo |
| not shall also | לֹֽא | lōʾ | loh |
| wither; | יִבּ֑וֹל | yibbôl | YEE-bole |
| and whatsoever | וְכֹ֖ל | wĕkōl | veh-HOLE |
| אֲשֶׁר | ʾăšer | uh-SHER | |
| he doeth | יַעֲשֶׂ֣ה | yaʿăśe | ya-uh-SEH |
| shall prosper. | יַצְלִֽיחַ׃ | yaṣlîaḥ | yahts-LEE-ak |
Cross Reference
यिर्मयाह 17:8
वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।
यहेजकेल 47:12
और नदी के दोनों तीरों पर भांति भांति के खाने योग्य फलदाई वृक्ष उपजेंगे, जिनके पत्ते न मुर्झाएंगे और उनका फलना भी कभी बन्द न होगा, क्योंकि नदी का जल पवित्र स्थान से निकला है। उन में महीने महीने, नये नये फल लगेंगे। उनके फल तो खाने के, ओर पत्ते औषधि के काम आएंगे।
भजन संहिता 92:14
वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
यहेजकेल 19:10
तेरी माता जिस से तू अत्पन्न हुआ, वह तीर पर लगी हुई दाखलता के समान थी, और गहिरे जल के कारण फलों और शाखाओं से भरी हुई थी।
उत्पत्ति 39:3
और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है।
यशायाह 3:10
धर्मियों से कहो कि उनका भला होगा, क्योंकि उसके कामों का फल उसको मिलेगा।
भजन संहिता 128:2
तू अपनी कमाई को निश्चय खाने पाएगा; तू धन्य होगा, और तेरा भला ही होगा॥
उत्पत्ति 39:23
बन्दीगृह के दरोगा के वश में जो कुछ था; क्योंकि उस में से उसको कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; इसलिये कि यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।
मत्ती 13:6
पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए।
प्रकाशित वाक्य 22:2
और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे।
यशायाह 44:4
वे उन मजनुओं की नाईं बढ़ेंगे जो धाराओं के पास घास के बीच में होते हैं।
अय्यूब 14:9
तौभी वर्षा की गन्ध पाकर वह फिर पनपेगा, और पौधे की नाईं उस से शाखाएं फूटेंगी।
यूहन्ना 15:6
यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
यहोशू 1:7
इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा।
मत्ती 21:34
जब फल का समय निकट आया, तो उस ने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा।
मत्ती 21:19
और अंजीर का एक पेड़ सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उस में और कुछ न पाकर उस से कहा, अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे; और अंजीर का पेड़ तुरन्त सुख गया।
यहेजकेल 17:8
परन्तु वह तो इसलिये अच्छी भूमि में बहुत जल के पास लगाई गई थी, कि कनखएं फोड़े, और फले, और उत्तम अंगूर की लता बने।
यहूदा 1:12
यह तुम्हारी प्रेम सभाओं में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं, और बेधड़क अपना ही पेट भरने वाले रखवाले हैं; वे निर्जल बादल हैं; जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं; और जड़ से उखड़ गए हैं।
यशायाह 27:11
जब उसकी शाखाएं सूख जाएं तब तोड़ी जाएंगी; और स्त्रियां आकर उन को तोड़ कर जला देंगी। क्योंकि ये लोग निर्बुद्धि हैं; इसलिये उनका कर्ता उन पर दया न करेगा, और उनका रचने वाला उन पर अनुग्रह न करेगा॥
2 इतिहास 31:21
और जो जो काम उसने परमेश्वर के भवन की उपासना और व्यवस्था और आज्ञा के विषय अपने परमेश्वर की खोज में किया, वह उसने अपना सारा मन लगाकर किया और उस में कृतार्थ भी हुआ।
मत्ती 21:41
उन्होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठेका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।
भजन संहिता 129:8
और न आने जाने वाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!
2 इतिहास 32:23
और बहुत लोग यरूशलेम को यहोवा के लिये भेंट और यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लिये अनमोल वस्तुएं ले आने लगे, और उस समय से वह सब जातियों की दृष्टि में महान ठहरा।
1 इतिहास 22:11
अब हे मेरे पुत्र, यहोवा तेरे संग रहे, और तू कृतार्थ हो कर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय कहा है, उसका भवन बनाना।