नीतिवचन 27:18
जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है, इसी रीति से जो अपने स्वामी की सेवा करता उसकी महिमा होती है।
Whoso keepeth | נֹצֵ֣ר | nōṣēr | noh-TSARE |
the fig tree | תְּ֭אֵנָה | tĕʾēnâ | TEH-ay-na |
eat shall | יֹאכַ֣ל | yōʾkal | yoh-HAHL |
the fruit | פִּרְיָ֑הּ | piryāh | peer-YA |
waiteth that he so thereof: | וְשֹׁמֵ֖ר | wĕšōmēr | veh-shoh-MARE |
on his master | אֲדֹנָ֣יו | ʾădōnāyw | uh-doh-NAV |
shall be honoured. | יְכֻבָּֽד׃ | yĕkubbād | yeh-hoo-BAHD |