यशायाह 60
1 उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है।
2 देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा।
3 और अन्यजातियां तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे॥
4 अपनी आंखें चारो ओर उठा कर देख; वे सब के सब इकट्ठे हो कर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियां हाथों-हाथ पहुंचाई जा रही हैं।
5 तब तू इसे देखेगी और तेरा मुख चमकेगा, तेरा हृदय थरथराएगा और आनन्द से भर जाएगा; क्योंकि समुद्र का सारा धन और अन्यजातियों की धन-सम्पति तुझ को मिलेगी।
6 तेरे देश में ऊंटों के झुण्ड और मिद्यान और एपादेशों की साड़नियां इकट्ठी होंगी; शिबा के सब लोग आकर सोना और लोबान भेंट लाएंगे और यहोवा का गुणानुवाद आनन्द से सुनाएंगे।
7 केदार की सब भेड़-बकरियां इकट्ठी हो कर तेरी हो जाएंगी, नबायोत के मेढ़े तेरी सेवा टहल के काम में आएंगे; मेरी वेदी पर वे ग्रहण किए जाएंगे और मैं अपने शोभायमान भवन को और भी प्रतापी कर दूंगा॥
8 ये कौन हैं जो बादल की नाईं और दर्बाओं की ओर उड़ते हुए कबूतरों की नाईं चले आते हैं?
9 निश्चय द्वीप मेरी ही बाट देखेंगे, पहिले तो तर्शीश के जहाज आएंगे, कि, मेरे पुत्रों को सोने चान्दी समेत तेरे परमेश्वर यहोवा अर्थात इस्राएल के पवित्र के नाम के निमित्त दूर से पहुंचाए, क्योंकि उसने तुझे शोभायमान किया है॥
10 परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएंगे, और उनके राजा तेरी सेवा टहल करेंगे; क्योंकि मैं ने क्रोध में आकर तुझे दु:ख दिया था, परन्तु अब तुझ से प्रसन्न हो कर तुझ पर दया की है।
11 तेरे फाटक सदैव खुले रहेंगे; दिन और रात वे बन्द न किए जाएंगे जिस से अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति और उनके राजा बंधुए हो कर तेरे पास पहुंचाए जाएं।
12 क्योंकि जो जाति और राज्य के लोग तेरी सेवा न करें वे नष्ट हो जाएंगे; हां ऐसी जातियां पूरी रीति से सत्यानाश हो जाएंगी।
13 लबानोन का वैभव अर्थात सनौबर और देवदार और सीधे सनौबर के पेड़ एक साथ तेरे पास आएंगे कि मेरे पवित्रस्थान को सुशोभित करें; और मैं अपने चरणों के स्थान को महिमा दूंगा।
14 तेरे दु:ख देने वालों की सन्तान तेरे पास सिर झुकाए हुए आंएगें; और जिन्होंने तेरा तिरस्कार किया सब तेरे पांवों पर गिरकर दण्डवत करेंगे; वे तेरा नाम यहोवा का नगर, इस्राएल के पवित्र का सिय्योन रखेंगे॥
15 तू जो त्यागी गई और घृणित ठहरी, यहां तक कि कोई तुझ में से हो कर नहीं जाता था, इसकी सन्ती मैं तुझे सदा के घमण्ड का और पीढ़ी पीढ़ी के हर्ष का कारण ठहराऊंगा।
16 तू अन्यजातियों का दूध पी लेगी, तू राजाओं की छातियां चूसेगी; और तू जान लेगी कि मैं यहोवा तेरा उद्धारकर्त्ता और तेरा छुड़ाने वाला, याकूब का सर्वशक्तिमान हूं॥
17 मैं पीतल की सन्ती सोना, लोहे की सन्ती चान्दी, लकड़ी की सन्ती पीतल और पत्थर की सन्ती लोहा लाऊंगा। मैं तेरे हाकिमों को मेल-मिलाप और चौधरियों को धामिर्कता ठहराऊंगा।
18 तेरे देश में फिर कभी उपद्रव और तेरे सिवानों के भीतर उत्पात वा अन्धेर की चर्चा न सुनाईं पड़ेगी; परन्तु तू अपनी शहरपनाह का नाम उद्धार और अपने फाटकों का नाम यश रखेगी।
19 फिर दिन को सूर्य तेरा उजियाला न होगा, न चान्दनी के लिये चन्द्रमा परन्तु यहोवा तेरे लिये सदा का उजियाला और तेरा परमेश्वर तेरी शोभा ठहरेगा।
20 तेरा सूर्य फिर कभी अस्त न होगा और न तेरे चन्द्रमा की ज्योति मलिन होगी; क्योंकि यहोवा तेरी सदैव की ज्योति होगा और तरे विलाप के दिन समाप्त हो जाएंगे।
21 और तेरे लोग सब के सब धर्मी होंगे; वे सर्वदा देश के अधिकारी रहेंगे, वे मेरे लगाए हुए पौधे और मेरे हाथों का काम ठहरेंगे, जिस से मेरी महिमा प्रगट हो।
22 छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा॥
1 Arise, shine; for thy light is come, and the glory of the Lord is risen upon thee.
2 For, behold, the darkness shall cover the earth, and gross darkness the people: but the Lord shall arise upon thee, and his glory shall be seen upon thee.
3 And the Gentiles shall come to thy light, and kings to the brightness of thy rising.
4 Lift up thine eyes round about, and see: all they gather themselves together, they come to thee: thy sons shall come from far, and thy daughters shall be nursed at thy side.
5 Then thou shalt see, and flow together, and thine heart shall fear, and be enlarged; because the abundance of the sea shall be converted unto thee, the forces of the Gentiles shall come unto thee.
6 The multitude of camels shall cover thee, the dromedaries of Midian and Ephah; all they from Sheba shall come: they shall bring gold and incense; and they shall shew forth the praises of the Lord.
7 All the flocks of Kedar shall be gathered together unto thee, the rams of Nebaioth shall minister unto thee: they shall come up with acceptance on mine altar, and I will glorify the house of my glory.
8 Who are these that fly as a cloud, and as the doves to their windows?
9 Surely the isles shall wait for me, and the ships of Tarshish first, to bring thy sons from far, their silver and their gold with them, unto the name of the Lord thy God, and to the Holy One of Israel, because he hath glorified thee.
10 And the sons of strangers shall build up thy walls, and their kings shall minister unto thee: for in my wrath I smote thee, but in my favour have I had mercy on thee.
11 Therefore thy gates shall be open continually; they shall not be shut day nor night; that men may bring unto thee the forces of the Gentiles, and that their kings may be brought.
12 For the nation and kingdom that will not serve thee shall perish; yea, those nations shall be utterly wasted.
13 The glory of Lebanon shall come unto thee, the fir tree, the pine tree, and the box together, to beautify the place of my sanctuary; and I will make the place of my feet glorious.
14 The sons also of them that afflicted thee shall come bending unto thee; and all they that despised thee shall bow themselves down at the soles of thy feet; and they shall call thee, The city of the Lord, The Zion of the Holy One of Israel.
15 Whereas thou hast been forsaken and hated, so that no man went through thee, I will make thee an eternal excellency, a joy of many generations.
16 Thou shalt also suck the milk of the Gentiles, and shalt suck the breast of kings: and thou shalt know that I the Lord am thy Saviour and thy Redeemer, the mighty One of Jacob.
17 For brass I will bring gold, and for iron I will bring silver, and for wood brass, and for stones iron: I will also make thy officers peace, and thine exactors righteousness.
18 Violence shall no more be heard in thy land, wasting nor destruction within thy borders; but thou shalt call thy walls Salvation, and thy gates Praise.
19 The sun shall be no more thy light by day; neither for brightness shall the moon give light unto thee: but the Lord shall be unto thee an everlasting light, and thy God thy glory.
20 Thy sun shall no more go down; neither shall thy moon withdraw itself: for the Lord shall be thine everlasting light, and the days of thy mourning shall be ended.
21 Thy people also shall be all righteous: they shall inherit the land for ever, the branch of my planting, the work of my hands, that I may be glorified.
22 A little one shall become a thousand, and a small one a strong nation: I the Lord will hasten it in his time.