यशायाह 57:10
तू अपनी यात्रा की लम्बाई के कारण थक गई, तौभी तू ने न कहा कि यह व्यर्थ है; तेरा बल कुछ अधिक हो गया, इसी कारण तू नहीं थकी॥
Thou art wearied | בְּרֹ֤ב | bĕrōb | beh-ROVE |
in the greatness | דַּרְכֵּךְ֙ | darkēk | dahr-kake |
way; thy of | יָגַ֔עַתְּ | yāgaʿat | ya-ɡA-at |
yet saidst | לֹ֥א | lōʾ | loh |
thou not, | אָמַ֖רְתְּ | ʾāmarĕt | ah-MA-ret |
hope: no is There | נוֹאָ֑שׁ | nôʾāš | noh-ASH |
thou hast found | חַיַּ֤ת | ḥayyat | ha-YAHT |
the life | יָדֵךְ֙ | yādēk | ya-dake |
hand; thine of | מָצָ֔את | māṣāt | ma-TSAHT |
therefore | עַל | ʿal | al |
כֵּ֖ן | kēn | kane | |
thou wast not | לֹ֥א | lōʾ | loh |
grieved. | חָלִֽית׃ | ḥālît | ha-LEET |