यशायाह 53:2
क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर की नाईं, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
For he shall grow up | וַיַּ֨עַל | wayyaʿal | va-YA-al |
before | כַּיּוֹנֵ֜ק | kayyônēq | ka-yoh-NAKE |
plant, tender a as him | לְפָנָ֗יו | lĕpānāyw | leh-fa-NAV |
and as a root | וְכַשֹּׁ֙רֶשׁ֙ | wĕkaššōreš | veh-ha-SHOH-RESH |
dry a of out | מֵאֶ֣רֶץ | mēʾereṣ | may-EH-rets |
ground: | צִיָּ֔ה | ṣiyyâ | tsee-YA |
no hath he | לֹא | lōʾ | loh |
form | תֹ֥אַר | tōʾar | TOH-ar |
nor | ל֖וֹ | lô | loh |
comeliness; | וְלֹ֣א | wĕlōʾ | veh-LOH |
see shall we when and | הָדָ֑ר | hādār | ha-DAHR |
no is there him, | וְנִרְאֵ֥הוּ | wĕnirʾēhû | veh-neer-A-hoo |
beauty | וְלֹֽא | wĕlōʾ | veh-LOH |
that we should desire | מַרְאֶ֖ה | marʾe | mahr-EH |
him. | וְנֶחְמְדֵֽהוּ׃ | wĕneḥmĕdēhû | veh-nek-meh-day-HOO |