यशायाह 17:11
चाहे रोपने के दिन तू उनके चारों और बाड़ा बान्धे, और बिहान ही को उन में फूल खिलने लगें, तौभी सन्ताप और असाध्य दु:ख के दिन उसका फल नाश हो जायेगा॥
In the day | בְּי֤וֹם | bĕyôm | beh-YOME |
shalt thou make thy plant | נִטְעֵךְ֙ | niṭʿēk | neet-ake |
grow, to | תְּשַׂגְשֵׂ֔גִי | tĕśagśēgî | teh-sahɡ-SAY-ɡee |
and in the morning | וּבַבֹּ֖קֶר | ûbabbōqer | oo-va-BOH-ker |
seed thy make thou shalt | זַרְעֵ֣ךְ | zarʿēk | zahr-AKE |
to flourish: | תַּפְרִ֑יחִי | taprîḥî | tahf-REE-hee |
but the harvest | נֵ֥ד | nēd | nade |
heap a be shall | קָצִ֛יר | qāṣîr | ka-TSEER |
in the day | בְּי֥וֹם | bĕyôm | beh-YOME |
grief of | נַחֲלָ֖ה | naḥălâ | na-huh-LA |
and of desperate | וּכְאֵ֥ב | ûkĕʾēb | oo-heh-AVE |
sorrow. | אָנֽוּשׁ׃ | ʾānûš | ah-NOOSH |