सभोपदेशक 5:10
जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।
He that loveth | אֹהֵ֥ב | ʾōhēb | oh-HAVE |
silver | כֶּ֙סֶף֙ | kesep | KEH-SEF |
not shall | לֹא | lōʾ | loh |
be satisfied | יִשְׂבַּ֣ע | yiśbaʿ | yees-BA |
with silver; | כֶּ֔סֶף | kesep | KEH-sef |
he nor | וּמִֽי | ûmî | oo-MEE |
that loveth | אֹהֵ֥ב | ʾōhēb | oh-HAVE |
abundance | בֶּהָמ֖וֹן | behāmôn | beh-ha-MONE |
increase: with | לֹ֣א | lōʾ | loh |
this | תְבוּאָ֑ה | tĕbûʾâ | teh-voo-AH |
is also | גַּם | gam | ɡahm |
vanity. | זֶ֖ה | ze | zeh |
הָֽבֶל׃ | hābel | HA-vel |