सभोपदेशक 2:11
तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं॥
Then I | וּפָנִ֣יתִֽי | ûpānîtî | oo-fa-NEE-tee |
looked | אֲנִ֗י | ʾănî | uh-NEE |
on all | בְּכָל | bĕkāl | beh-HAHL |
the works | מַעֲשַׂי֙ | maʿăśay | ma-uh-SA |
hands my that | שֶֽׁעָשׂ֣וּ | šeʿāśû | sheh-ah-SOO |
had wrought, | יָדַ֔י | yāday | ya-DAI |
and on the labour | וּבֶֽעָמָ֖ל | ûbeʿāmāl | oo-veh-ah-MAHL |
laboured had I that | שֶׁעָמַ֣לְתִּי | šeʿāmaltî | sheh-ah-MAHL-tee |
to do: | לַעֲשׂ֑וֹת | laʿăśôt | la-uh-SOTE |
behold, and, | וְהִנֵּ֨ה | wĕhinnē | veh-hee-NAY |
all | הַכֹּ֥ל | hakkōl | ha-KOLE |
was vanity | הֶ֙בֶל֙ | hebel | HEH-VEL |
vexation and | וּרְע֣וּת | ûrĕʿût | oo-reh-OOT |
of spirit, | ר֔וּחַ | rûaḥ | ROO-ak |
no was there and | וְאֵ֥ין | wĕʾên | veh-ANE |
profit | יִתְר֖וֹן | yitrôn | yeet-RONE |
under | תַּ֥חַת | taḥat | TA-haht |
the sun. | הַשָּֽׁמֶשׁ׃ | haššāmeš | ha-SHA-mesh |