व्यवस्थाविवरण 32:2
मेरा उपदेश मेंह की नाईं बरसेगा और मेरी बातें ओस की नाईं टपकेंगी, जैसे कि हरी घास पर झीसी, और पौधों पर झडिय़ां॥
My doctrine | יַֽעֲרֹ֤ף | yaʿărōp | ya-uh-ROFE |
shall drop | כַּמָּטָר֙ | kammāṭār | ka-ma-TAHR |
as the rain, | לִקְחִ֔י | liqḥî | leek-HEE |
speech my | תִּזַּ֥ל | tizzal | tee-ZAHL |
shall distil | כַּטַּ֖ל | kaṭṭal | ka-TAHL |
as the dew, | אִמְרָתִ֑י | ʾimrātî | eem-ra-TEE |
rain small the as | כִּשְׂעִירִ֣ם | kiśʿîrim | kees-ee-REEM |
upon | עֲלֵי | ʿălê | uh-LAY |
the tender herb, | דֶ֔שֶׁא | dešeʾ | DEH-sheh |
showers the as and | וְכִרְבִיבִ֖ים | wĕkirbîbîm | veh-heer-vee-VEEM |
upon | עֲלֵי | ʿălê | uh-LAY |
the grass: | עֵֽשֶׂב׃ | ʿēśeb | A-sev |