व्यवस्थाविवरण 28:30
तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरूष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उस में बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।
Thou shalt betroth | אִשָּׁ֣ה | ʾiššâ | ee-SHA |
a wife, | תְאָרֵ֗שׂ | tĕʾārēś | teh-ah-RASE |
and another | וְאִ֤ישׁ | wĕʾîš | veh-EESH |
man | אַחֵר֙ | ʾaḥēr | ah-HARE |
lie shall | יִשְׁגָּלֶנָּה | yišgālennâ | yeesh-ɡa-leh-NA |
build shalt thou her: with | בַּ֥יִת | bayit | BA-yeet |
an house, | תִּבְנֶ֖ה | tibne | teev-NEH |
not shalt thou and | וְלֹֽא | wĕlōʾ | veh-LOH |
dwell | תֵשֵׁ֣ב | tēšēb | tay-SHAVE |
therein: thou shalt plant | בּ֑וֹ | bô | boh |
vineyard, a | כֶּ֥רֶם | kerem | KEH-rem |
and shalt not | תִּטַּ֖ע | tiṭṭaʿ | tee-TA |
gather the grapes | וְלֹ֥א | wĕlōʾ | veh-LOH |
thereof. | תְחַלְּלֶֽנּוּ׃ | tĕḥallĕlennû | teh-ha-leh-LEH-noo |