Mark 9:50
नमक अच्छा है,पर यदि नमक की नमकीनी जाती रहे, तो उसे किस से स्वादित करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो॥
Mark 9:50 in Other Translations
King James Version (KJV)
Salt is good: but if the salt have lost his saltness, wherewith will ye season it? Have salt in yourselves, and have peace one with another.
American Standard Version (ASV)
Salt is good: but if the salt have lost its saltness, wherewith will ye season it? Have salt in yourselves, and be at peace one with another.
Bible in Basic English (BBE)
Salt is good; but if the taste goes from it, how will you make it salt again? Have salt in yourselves, and be at peace one with another.
Darby English Bible (DBY)
Salt [is] good, but if the salt is become saltless, wherewith will ye season it? Have salt in yourselves, and be at peace with one another.
World English Bible (WEB)
Salt is good, but if the salt has lost its saltiness, with what will you season it? Have salt in yourselves, and be at peace with one another."
Young's Literal Translation (YLT)
The salt `is' good, but if the salt may become saltless, in what will ye season `it'? Have in yourselves salt, and have peace in one another.'
| Καλὸν | kalon | ka-LONE | |
| Salt | τὸ | to | toh |
| is good: | ἅλας· | halas | A-lahs |
| but | ἐὰν | ean | ay-AN |
| if | δὲ | de | thay |
| the | τὸ | to | toh |
| salt | ἅλας | halas | A-lahs |
| have | ἄναλον | analon | AH-na-lone |
| lost his saltness, | γένηται | genētai | GAY-nay-tay |
| wherewith | ἐν | en | ane |
| τίνι | tini | TEE-nee | |
| season ye will | αὐτὸ | auto | af-TOH |
| it? | ἀρτύσετε | artysete | ar-TYOO-say-tay |
| Have | ἔχετε | echete | A-hay-tay |
| salt | ἐν | en | ane |
| in | ἑαυτοῖς | heautois | ay-af-TOOS |
| yourselves, | ἅλας· | halas | A-lahs |
| and | καὶ | kai | kay |
| have peace | εἰρηνεύετε | eirēneuete | ee-ray-NAVE-ay-tay |
| one with | ἐν | en | ane |
| another. | ἀλλήλοις | allēlois | al-LAY-loos |
Cross Reference
Colossians 4:6
तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
Romans 12:18
जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
2 Corinthians 13:11
निदान, हे भाइयो, आनन्दित रहो; सिद्ध बनते जाओ; ढाढ़स रखो; एक ही मन रखो; मेल से रहो, और प्रेम और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा।
Matthew 5:13
तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।
Hebrews 12:14
सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।
Job 6:6
जो फीका है वह क्या बिना नमक खाया जाता है? क्या अण्डे की सफेदी में भी कुछ स्वाद होता है?
Luke 14:34
नमक तो अच्छा है, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह किस वस्तु से स्वादिष्ट किया जाएगा।
Ephesians 4:29
कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
1 Thessalonians 5:13
और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो।
1 Peter 3:8
निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।
James 3:14
पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
James 1:20
क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
2 Timothy 2:22
जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
Colossians 3:12
इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Psalm 133:1
देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!
Mark 9:34
वे चुप रहे, क्योंकि मार्ग में उन्होंने आपस में यह वाद-विवाद किया था, कि हम में से बड़ा कौन है?
John 13:34
मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो।
John 15:17
इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।
Romans 14:17
क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परन्तु धर्म और मिलाप और वह आनन्द है;
Galatians 5:14
क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Galatians 5:22
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
Ephesians 4:2
अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:31
सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Philippians 1:27
केवल इतना करो कि तुम्हारा चाल-चलन मसीह के सुसमाचार के योग्य हो कि चाहे मैं आकर तुम्हें देखूं, चाहे न भी आऊं, तुम्हारे विषय में यह सुनूं, कि तुम एक ही आत्मा में स्थिर हो, और एक चित्त होकर सुसमाचार के विश्वास के लिये परिश्रम करते रहते हो।
Philippians 2:1
सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Psalm 34:14
बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर॥