1 Timothy 4:3
जो ब्याह करने से रोकेंगे, और भोजन की कुछ वस्तुओं से परे रहने की आज्ञा देंगे; जिन्हें परमेश्वर ने इसलिये सृजा कि विश्वासी, और सत्य के पहिचानने वाले उन्हें धन्यवाद के साथ खाएं।
1 Timothy 4:3 in Other Translations
King James Version (KJV)
Forbidding to marry, and commanding to abstain from meats, which God hath created to be received with thanksgiving of them which believe and know the truth.
American Standard Version (ASV)
forbidding to marry, `and commanding' to abstain from meats, which God created to be received with thanksgiving by them that believe and know the truth.
Bible in Basic English (BBE)
Who keep men from being married and from taking food which God made to be taken with praise by those who have faith and true knowledge.
Darby English Bible (DBY)
forbidding to marry, [bidding] to abstain from meats, which God has created for receiving with thanksgiving for them who are faithful and know the truth.
World English Bible (WEB)
forbidding marriage and commanding to abstain from foods which God created to be received with thanksgiving by those who believe and know the truth.
Young's Literal Translation (YLT)
forbidding to marry -- to abstain from meats that God created to be received with thanksgiving by those believing and acknowledging the truth,
| Forbidding | κωλυόντων | kōlyontōn | koh-lyoo-ONE-tone |
| to marry, | γαμεῖν | gamein | ga-MEEN |
| from abstain to commanding and | ἀπέχεσθαι | apechesthai | ah-PAY-hay-sthay |
| meats, | βρωμάτων | brōmatōn | vroh-MA-tone |
| which | ἃ | ha | a |
| ὁ | ho | oh | |
| God | θεὸς | theos | thay-OSE |
| hath created | ἔκτισεν | ektisen | AKE-tee-sane |
| to | εἰς | eis | ees |
| be received | μετάληψιν | metalēpsin | may-TA-lay-pseen |
| with | μετὰ | meta | may-TA |
| thanksgiving | εὐχαριστίας | eucharistias | afe-ha-ree-STEE-as |
| τοῖς | tois | toos | |
| believe which them of | πιστοῖς | pistois | pee-STOOS |
| and | καὶ | kai | kay |
| know | ἐπεγνωκόσιν | epegnōkosin | ape-ay-gnoh-KOH-seen |
| the | τὴν | tēn | tane |
| truth. | ἀλήθειαν | alētheian | ah-LAY-thee-an |
Cross Reference
Romans 14:6
जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जा नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है।
Hebrews 13:4
विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।
Genesis 9:3
सब चलने वाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसा ही अब सब कुछ देता हूं।
1 Timothy 4:4
क्योंकि परमेश्वर की सृजी हुई हर एक वस्तु अच्छी है: और कोई वस्तु अस्वीकार करने के योग्य नहीं; पर यह कि धन्यवाद के साथ खाई जाए।
Colossians 2:16
इसलिये खाने पीने या पर्व या नए चान्द, या सब्तों के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे।
1 Corinthians 7:28
परन्तु यदि तू ब्याह भी करे, तो पाप नहीं; और यदि कुंवारी ब्याही जाए तो कोई पाप नहीं; परन्तु ऐसों को शारीरिक दुख होगा, और मैं बचाना चाहता हूं।
Daniel 11:37
वह अपने पुरखाओं के देवताओं की चिन्ता ना करेगा, न स्त्रियों की प्रीति की कुछ चिन्ता करेगा और न किसी देवता की; क्योंकि वह अपने आप ही को सभों के ऊपर बड़ा ठहराएगा।
1 Corinthians 7:36
और यदि कोई यह समझे, कि मैं अपनी उस कुंवारी का हक मार रहा हूं, जिस की जवानी ढल चली है, और प्रयोजन भी होए, तो जैसा चाहे, वैसा करे, इस में पाप नहीं, वह उसका ब्याह होने दे।
1 Corinthians 8:8
भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता, यदि हम न खांए, तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएं, तो कुछ लाभ नहीं।
1 Corinthians 10:30
यदि मैं धन्यवाद करके साझी होता हूं, तो जिस पर मैं धन्यवाद करता हूं, उसके कारण मेरी बदनामीं क्यों होती है?
Colossians 2:20
जब कि तुम मसीह के साथ संसार की आदि शिक्षा की ओर से मर गए हो, तो फिर उन के समान जो संसार में जीवन बिताते हैं मनुष्यों की आज्ञाओं और शिक्षानुसार
Colossians 3:17
और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो॥
Hebrews 13:9
नाना प्रकार के और ऊपक्की उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ।
1 Timothy 2:4
वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें।
2 Thessalonians 2:13
पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति करके उद्धार पाओ।
1 Samuel 9:13
ज्योंही तुम नगर में पहुंचो त्योंही वह तुम को ऊंचे स्थान पर खाना खाने को जाने से पहिले मिलेगा; क्योंकि जब तक वह न पहुंचे तब तक लोग भोजन करेंगे, इसलिये कि यज्ञ के विषय में वही धन्यवाद करता; तब उसके पीछे ही न्योतहरी भोजन करते हैं। इसलिये तुम अभी चढ़ जाओ, इसी समय वह तुम्हें मिलेगा।
Ecclesiastes 5:18
सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर करता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी रहे: क्योंकि उसका भाग यही है।
Matthew 14:19
तब उस ने लोगों को घास पर बैठने को कहा, और उन पांच रोटियों और दो मछिलयों को लिया; और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़कर चेलों को दीं, और चेलों ने लोगों को।
Matthew 15:36
और उन सात रोटियों और मछिलयों को ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपने चेलों को देता गया; और चेले लोगों को।
Luke 24:30
जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।
John 6:23
(तौभी और छोटी नावें तिबिरियास से उस जगह के निकट आई, जहां उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।)
John 8:31
तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्हों ने उन की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे।
Acts 10:13
और उसे एक ऐसा शब्द सुनाईं दिया, कि हे पतरस उठ, मार के खा।
Acts 27:35
और यह कहकर उस ने रोटी लेकर सब के साम्हने परमेश्वर का धन्यवाद किया; और तोड़कर खाने लगा।
Romans 14:3
और खानेवाला न-खाने वाले को तुच्छ न जाने, और न-खानेवाला खाने वाले पर दोष न लगाए; क्योंकि परमेश्वर ने उसे ग्रहण किया है।
Romans 14:17
क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परन्तु धर्म और मिलाप और वह आनन्द है;
1 Corinthians 6:13
भोजन पेट के लिये, और पेट भोजन के लिये है, परन्तु परमेश्वर इस को और उस को दोनों को नाश करेगा, परन्तु देह व्यभिचार के लिये नहीं, वरन प्रभु के लिये; और प्रभु देह के लिये है।
Genesis 1:29
फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: